तनाव में ज्‍यादा आसानी से झेल लेते हैं बुरी खबरें

तनाव में ज्‍यादा आसानी से झेल लेते हैं बुरी खबरें

सेहतराग टीम

अगर आप बहुत खुशनुमा माहौल में हैं और अचानक से आपको कोई बुरी खबर मिलती है तो आप कैसा महसूस करते हैं? जाहिर है कि ऐसे में जोर का झटका जोर से ही लगता है और ऐसा महसूस होता है जैसे पूरी जिंदगी उलट पु‍लट हो गई हो।

मगर अब एक नए शोध से खुलासा हुआ है कि तनाव अथवा उद्वग्निता से जूझने के दौरान अगर हमें बुरी अथवा नकारात्मक खबरें मिलती हैं तो हम उसे ज्‍यादा सहजता से लेते हैं। यानी यदि आप पहले से ही किन्‍हीं वजहों से परेशान चल रहे हैं और ऐसे में कोई और बुरी खबर मिल जाती है तो उसका असर उतना व्‍यापक नहीं होता है बल्कि लोग उसे ज्‍यादा सहजता से लेकर झेल लेते हैं।

जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित एक शोध में खुलासा किया गया है कि बुरी खबर की बजाय अच्छी खबर को ज्यादा तवज्जो देने की प्रवृत्ति उस वक्त गायब हो जाती है जब लोग डरे हुए होते हैं।

ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के ताली शरोट ने कहा, ‘आमतौर पर लोग ज्यादा आशावादी होते हैं। हम बुरे को नजरअंदाज करके अच्छे को अपना लेते हैं। हमारे शोध में हिस्सा लेने वाले जब शांत थे तो उन्होंने ठीक यही किया लेकिन जब वे तनाव में थे तो एक नया पैटर्न सामने आया।’

शरोट ने कहा, ‘इन स्थितियों में वे उन बुरी खबरों के प्रति ज्यादा सजग हो गए जो हमने उन्हें दी हालांकि इस बुरी खबर का उनकी उद्विग्नता से कोई संबंध नहीं था। शोध में हिस्सा ले रहे 35 लोगों से कहा गया कि एक कार्य पूरा करने के बाद उन्हें जजों के एक पैनल के सामने अचानक दिए गए किसी विषय पर बोलना होगा। इससे उनमें तनाव का स्तर बढ़ाया गया। 

वहीं आधे लोगों से कहा गया कि उन्हें अध्ययन के अंत में निबंध लिखना होगा। इसके बाद भाषण देने वाले समूहों में तनाव के स्तर की जांच की गई। इसके लिए उन्होंने अनेक तरीके अपनाए।

शोधकर्ताओं ने बताया कि जैसे की उम्मीद की जा रही थी जो प्रतिभागी किसी प्रकार के दबाव में नहीं थे उन्होंने बुरी के मुकाबले अच्छी खबरों को ज्यादा अच्छे से लिया वहीं तनाव से जूझ रहे लोगों ने बुरी खबरों को ज्यादा अच्छे तरीके से लिया।

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